पाकिस्तान पर परोक्ष निशाना साधते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि आतंकवाद को गैरसरकारी तत्वों और गैरजिम्मेदार देशों ने क्षेत्र में अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पसंदीदा हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका विषय पर अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षा की अवधारणा में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है और समूह के सदस्य देशों को आतंकवाद जैसी चुनौतियों से सामूहिक रूप से निपटना होगा।
आतंकवाद के सभी स्वरूपों को एक स्वर से खारिज किया
उन्होंने कहा कि युद्ध की प्रकृति में बदलाव से खतरे हमारी सीमाओं से समाज के भीतर और लोगों तक पहुंच रहे हैं। आतंकवाद इस वास्तविकता का सबसे स्पष्ट और शैतानी स्वरूप है। रक्षा मंत्री ने डिजिटल माध्यम से सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘एससीओ ने एक संगठन के रूप में आतंकवाद के सभी स्वरूपों को एक स्वर से खारिज किया है। इसकी हकीकत एससीओ के सभी नागरिकों को इस साझा खतरे के खिलाफ लड़ाई में उनकी भूमिका स्पष्ट करती है जो हमारे लिए चुनौतिपूर्ण है।
विभिन्न कार्यों में महिलाओं की वृहद भूमिका एवं हिस्सेदारी के प्रति आशान्वित
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई हमारे क्षेत्र की आधी आबादी या एक देश नहीं जीत सकता। इस लड़ाई में महिलाओं की भूमिका समान रही है और रहेगी, चाहे सशस्त्र बल हों या अन्य क्षेत्र। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका की संक्षित चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘हमारा भविष्य हमारे हाथ में है। यह एससीओ देशों पर निर्भर करता है कि वे क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करें, शांति को बढ़ावा दें तथा लैंगिक समानता एवं पूरे क्षेत्र की बेहतरी के लिए काम करें। राजनाथ ने कहा कि हम सशस्त्र बलों में विभिन्न कार्यो में महिलाओं की वृहद भूमिका एवं हिस्सेदारी के प्रति आशान्वित हैं।
कम हो रहा पुरुष-महिलाओं की भूमिका में भेद : जनरल रावत
चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा कि युद्ध की प्रकृति पारंपरिक से परिवर्तित होकर हाइब्रिड और गैर-सरकारी तत्वों से जुड़ी (ग्रे जोन वारफेयर) हो गई है तथा साइबर स्पेस व बाहरी अंतरिक्ष युद्ध के नए क्रांतिकारी क्षेत्र के रूप में उभरे हैं। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप आधुनिक समय में युद्ध में पुरुषों एवं महिलाओं की भूमिका में भेद दिन प्रतिदिन कम हो रहा है। महिलाओं ने लड़ाई में अपना दमखम साबित किया है।
भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए खुले नए आयाम : संधु
विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) रीनत संधु ने कहा कि पिछले दशकों में भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए नए आयाम खुले हैं और महिला सैन्य अधिकारियों ने संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक मिशनों में वैश्विक स्तर पर अपना स्थान बनाया है। उन्होंने कहा कि भारत ने वर्ष 2007 में लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक अभियान में पहली बार सिर्फ महिलाओं की पुलिस इकाई तैनात करके इतिहास रचा था। बता दें कि भारत की ओर से आयोजित इस आनलाइन सम्मेलन में एससीओ के लगभग सभी देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।