लखनऊ, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सोमवार को प्रदेश में उल्लास का माहौल बना है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश शासन ने सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाने के लिए सोमवार नाइट कर्फ्यू के प्रतिबंधों की बेड़ियां तोड़ दी हैं।
भगवान कृष्ण के जन्मस्थान मथुरा में सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन हो रहे हैं जबकि अन्य जिलों में भी इसको लेकर लोगों में अपार उत्साह है। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ भी पहली बार मथुरा जाकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन में शामिल होंगे। प्रदेश में सभी जिलों में जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में निर्धारित उपस्थिति की सीमा से छूट है। शासन ने सभी पुलिस लाइन और कारागारों में जन्माष्टमी का पर्व कोविड प्रोटोकॉल के साथ भव्य रूप से मनाने का आदेश दिया है। प्रदेश की सभी पुलिस लाइंस एवं जेलों में जन्माष्टमी का पर्व भव्य रूप से भारतीय परंपरा के अनुसार मनाया जाएगा।
प्रदेश में मथुरा के गोकुल व बरसाना में बड़े आयोजन होंगे। इसके साथ ही वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, मेरठ, आगरा तथा राजधानी लखनऊ के साथ महानगरों में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मंदिरों में श्रीकृष्ण का जन्म, उनकी लीलाओं की झांकी सजाई जाती है और कई जगह मेले का आयोजन भी होता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर प्रदेश के सभी इस्कॉन मंदिरों में भी इस बार बड़े आयोजन होंगे। बीते वर्ष कोरोना के कारण कहीं पर भी भव्य आयोजन नहीं हो पाया था। इस बार श्रद्धालुओं को भी मंदिर के अंदर आने की अनुमति है।
इस बार विशेष योग
सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष योगकारी होगा। इस दिन शुभ हर्षण योग होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग में प्रत्येक काम में सफलता प्राप्त होगी। हर्ष का अर्थ खुशी या प्रसन्नता है, इसलिए इस योग में किए कार्य खुशी प्रदान करेंगे।
यह हैं पूजा के शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 29 अगस्त रात 11 बजकर 25 मिनट से।
अष्टमी तिथि समाप्ति: 30 अगस्त की रात (अर्थात 31 अगस्त) दो बजे तक।
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 30 अगस्त सुबह छह बजकर 39 मिनट से।
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 31 अगस्त सुबह नौ बजकर 44 मिनट तक।
जन्माष्टमी निशीथ पूजा मुहूर्त: 30 अगस्त रात 11 बजकर 59 मिनट से रात 12 बजकर 44 मिनट (अवधि 44 मिनट) तक रहेगा।
पूजन विधि
जन्माष्टमी पर जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उत्तर की ओर मुख करके व्रत संकल्प लें। भगवान श्रीकृष्ण की मूॢत या चित्र पालने में स्थापित करें। इस दौरान देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंदबाबा, यशोदा आदि के नाम जपें। रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। पंचामृत से अभिषेक करें। नए वस्त्र अॢपत कर लड्डू-गोपाल को झूला झुलाएं। पंचामृत में तुलसी डालकर माखन-मिश्री व धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं। आरती करके प्रसाद वितरित करें। श्रीकृष्ण के साथ गोमाता की भी मूर्ति रखकर उनका भी पूजन करें। मान्यता है कि लड्डू गोपाल का अभिषेक गंगाजल से नहीं किया जाता क्योंकि गंगाजी का प्राकट्य स्वयं श्रीहरि के चरणों से हुआ है, इसलिए भक्तजन अभिषेक के बाद चरणामृत में गंगाजल मिलाते हैं। आर्थिक व संतान संबंधी परेशानियों से जूझ रहे श्रद्धालु जन्माष्टमी पर गाय और बछड़े की मूॢत घर लाएं। भगवान को परिजात के फूल भी अर्पित करें।