नई दिल्ली भारत के चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ है उसके बारे में भारत पहले से ही जानता था। जनरल रावत ने कहा कि अफगानिस्तान को लेकर जो कुछ भी भारत ने कहा था हू-ब-हू वही हो रहा है, लेकिन इसकी टाइमिंग में जरूर फर्क है। उनके मुताबिक भारत के संदर्भ में यदि देखें तो हम जानते थे कि अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जा कर लेगा।
जनरल रावत ने कहा कि अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ है उसकी तेजी को देखते हुए हैरानी जरूर होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ने सोचा था कि इसमें दो माह का समय लग सकता है। लेकिन ये सब कुछ हमारी सोच से पहले ही हो गया। वर्तमान में दो दशक के बाद तालिबान फिर से अफगानिस्तान में आ गया है। उन्होंने ये भी कहा कि वहां से आने वाली खबरों में तालिबान की सारी तस्वीर सामने आने लगी है। उनके मुताबिक ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि वर्तमान में उसके सहयोगी बदल गए हैं। मौजूदा समय में तालिबान तो वही है लेकिन केवल उसके सहयोगी अलग हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि जहां तक भारत की चिंता का विषय है तो हमारी चिंता हर जगह को लेकर है। ये केवल हमारे उत्तर में स्थित पड़ोसी की ही बात नहीं है बल्कि हमारे पश्चिम में मौजूद दूसरे पड़ोसी के पास परमाणु हथियार भी हैं। इसलिए भारत दो ऐसे पड़ोसी देशों के बीच घिरा हुआ है जिनके पास विनाशकारी हथियार मौजूद हैं।
भारत के अफगानिस्तान में रुख को लेकर उन्होंने कहा कि हम रणनीति के तहत ही वहां पर आगे बढ़ रहे हैं। रणनीतिक तौर पर हम काफी मजबूत स्थिति में हैं। भारतीय सेना किसी भी तरह की स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जनरल रावत ने कहा कि वो मानते हैं कि अफगानिस्तान के हालात और भारत-प्रशांत क्षेत्र के हालातों को एक ही चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। ये दोनों ही अलग मुद्दे हैं। हां, ये सही है कि दोनों पर ही पड़ोसी देशों से भारत को सुरक्षा का खतरा बना हुआ है, लेकिन ये दोनों मुद्दे अलग हैं। ये दोनों का आपस में मिलना मुश्किल है।
आपको बता दें कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा जमाया था। इसके बाद से ही वो अफगानिस्तान में अपनी सरकार के गठन की कवायद में जुटा हुआ है। तालिबान लगातार इस बात को कह रहा है कि इस बार वो नए रूप में सामने आया है। इस नए रूप में लोगों को पहले की अपेक्षा कहीं अधिक आजादी दी जाएगी। महिलाओं को भी इस्लामिक कानून के तहत काम करने की इजाजत दी जाएगी।
वहीं तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी बात करने की अपील कर चुका है। दरअसल, इस बार तालिबान की कोशिश केवल अफगानिस्तान में सरकार बनाना ही नहीं है बल्कि उसको अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्वीकृत करवाना भी है। यही वजह है कि वो लगातार इस तरह का बयान दे रहा है। तालिबान को लेकर कुछ देशों का रुख स्पष्ट हो चुका है, लेकिन, भारत ने इस पर अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं।