नई दिल्ली अफगानिस्तान के खराब होते हालातों को लेकर अब आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी शुरू हो गया है। ग्रीस में इसको लेकर अफगानियों ने अमेरिका के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। इन लोगों का कहना है कि अफगानिस्तान को बीच मझधार में छोड़ दिया गया है। इन लोगों ने हाथों में बैनर लिए हुए थे जिन पर तालिबान के खात्मे की बात की हुई थी।
भारत ने सी-17 विमान से अपने नागरिक निकाले
के बीच भारत ने अपने नागरिकों को वहां से सुरक्षित वापस लाने के लिए कमर कस ली है। इसके तहत भारतीय वायु सेना का सी-17 विमान काबुल से करीब 120 नागरिकों को लेकर निकल चुका है। इसमें भारतीय दूतावास के अधिकारी भी शामिल हैं। इसके अलावा दूतावास के दूसरे अधिकारियों को एयरपोर्ट पर ही सुरिक्षत जगहों पर रखा गया है।
आपको बता दें कि रविवार को भी भारत ने दो विमानों से अपने दो सौ से अधिक नागरिकों को काबुल से निकाला था। लेकिन सोमवार को काबुल एयरपोर्ट के हालात काफी खराब हो गए थे, जिसकी वजह से वहां पर विमानों की आवाजाही को रोक दिया गया था। इसके बाद हालात के कुछ सामान्य होने के बाद भारत का सी-17 विमान काबुल एयरपोर्ट से निकल सका है। तालिबान की मौजूदगी के बीच अफगानिस्तान में कई भारतीय सिखों ने वहां के गुरुद्वारे में शरण ली है।
गृह मंत्रालय ने वीजा नियमों में किया बदलाव
अफगानिस्तान हालातों के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वीजा नियमों में बदलाव किया है। भारत सरकार ने अब इसमें एक नई कैटेगिरी शामिल की हैं जिसमें e-Emergency X-Misc Visa कैटेगरी को शामिल किया गया है। ये कैटेगिरी खासतौर पर अफगानिस्तान से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे लोगों को देखते हुए बनाई गई है। इसके तहत इन लोगों को आसानी से वीजा मिल सकेगा। गौरतलब है कि अफगानिस्तान की सीमा से लगते अन्य देशों की सीमा पर सैकड़ों की संख्या में लोग इंतजार कर रहे हैं। वही काबुल एयरपोर्ट पर भी देश छोड़कर जाने वालों की जबरदस्त भीड़ है।
यूएन महासचिव की अपील
इस बीच देश के बेकाबू होते हालातों पर यूएन महासचिव एंटोनियों गुटेरस ने सभी देशों से अपील की है कि वो अपने यहां पर आने वाले अफगान शरणार्थियों की मदद के लिए आगे आएं और उन्हें अपने यहां पर आने की इजाजत दें। अपने एक ट्वीट में उन्होंंने लिखा है कि अफगानी लंबे समय से युद्ध की विभीषिका को झेल रहे हैं। ऐसे में उन्हें हमारी सबसे अधिक जरूरत है। उन्हें हम सभी का साथ चाहिए।
उन्होंने ये भी कहा है कि संंयुक्त राष्ट्र अफगान नागरिकों को इस मुश्किल घड़ी में अकेला नहीं छोड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र अफगान नागरिकों की मदद के लिए प्रतिबद्ध है। तालिबान के वहां पर कब्जे के बाद भी संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान में मौजूद अपने किसी भी आफिस को बंद नहीं करेगा और लगातार लोगों की मदद के लिए काम करता रहेगा।
ये वक्त है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान के लिए एकजुट होना चाहिए और वहां के लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। ऐसे समय में सभी देशों को एक ही स्वर में बात करनी चाहिए जो अफगान नागरिकों के हितों से जुड़ी हों। उन्होंने ये भी कहा है कि अफगानिस्तान के मुद्दे सभी को एक साथ आने की जरूरत है। ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अफगानिस्तान फिर से आतंकियों के लिए स्वर्ग न बन सके।