ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और केंद्रीय रक्षा और पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट की दिल्ली में हुई मुलाकात में उत्तराखंड में स्वच्छ, स्वस्थ और हरित पर्यटन के विषय में विस्तृत चर्चा हुई। इस दौरान नैसर्गिक सौंदर्य से युक्त चार धाम यात्रा को सुरक्षित और प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए विशेष चर्चा हुई।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हमारी यात्रायें इको-फ्रेंडली और पर्यावरण फ्रेंडली होना चाहिये। उत्तराखंड के चार पावन तीर्थ क्षेत्रों केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री धामों के मार्गों को सुरक्षित बनाने के साथ ही स्वच्छ और प्लास्टिक फ्री करना बहुत जरूरी है। क्योंकि इससे हमारा वन्य जीवन और सदानीरा नदियों का जल भी प्रदूषित हो रहा है। स्वामी चिदानंद ने कहा कि उत्तराखंड की पर्यावरणीय समृद्धि में गंगा का महत्वपूर्ण योगदान है।
उत्तराखंड में पर्यटन श्रद्धा, भक्ति, शान्ति, आध्यात्मिक शक्ति और नैसर्गिक सौन्द्रर्य प्राप्त करने के लिये होना चाहिये। वास्तव में यहां पर पर्यटन नहीं बल्कि तीर्थाटन हो। पहले श्रद्धालु उत्तराखंड में मां गंगा के तटों पर तीर्थाटन के लिये ही आते थे। परन्तु अब तीर्थाटन का स्थान पर्यटन ने ले लिया। चार धाम यात्रा और मां गंगा का पावन तट पर्यटन का नहीं बल्कि तीर्थाटन के लिये पवित्र स्थान है।
उन्होंने ने कहा कि भारत के प्रत्येक धार्मिक स्थलों पर तीर्थाटन के साथ ईकोटूरिज्म स्थापित किया जाना बहुत जरूरी है, क्योंकि तीर्थाटन की संस्कृति ही भारत की संस्कृति है। सनातन संस्कृति और मानवता के दिव्य सूत्रों को जीवंत बनाये रखने के लिये यात्रायें और मेलों का आयोजन बहुत जरूरी है। प्राकृतिक सौन्दर्य को जीवंत बनाये रखने हेतु सभी मिलकर योगदान प्रदान करें।
केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने आल वेदर प्रोजेक्ट, चार धाम यात्रा को सुचारू रूप से संचालित करने और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कठिनाईयों का सामना न करना पड़े इस विषय में भी विशेष चर्चा की। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट को हरित तीर्थाटन के प्रतीक के रूप में रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।