लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार जोरदार ढंग से 2022 के विधानसभा सभा चुनाव की तैयारी में लग गई है। चुनावी वर्ष के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिजली की दर अबकी न बढ़ाए जाने की घोषणा पहले ही कर दी थी। उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने गुरुवार को टैरिफ आर्डर जारी कर दिया है।
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने गुरुवार टैरिफ जारी कर बिजली की दरें बढ़ाने के कयास को विराम दे दिया है। प्रदेश में बिजली की दरें यथावत रखी गई हैं। सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है। उत्तर प्रदेश में मीटर लगाए जाने के बाद भी किसानों को अनमीटर्ड टैरिफ की सुविधा प्रदान की गई है। इस सुविधा से उनको पर्याप्त बिजली मिलने के साथ ही कोई अतिरिक्त धन भी नहीं देना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने सभी बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन के साथ ही साथ रेगुलेटरी सरचार्ज के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में लम्बे समय से कयास चल रहा था कि बिजली कंपनियां दर बढ़ा सकती है, लेकिन नियामक आयोग ने जनता को बड़ी राहत दी है। उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों को कम कराने के लिए एक बार फिर से लामबंदी शुरू कर दी थी। उपभोक्ता परिषद ने कहा था कि प्रदेश सरकार घरेलू, ग्रामीण, शहरी व किसानों सहित छोटे वाणिज्यिक संस्थानों की बिजली दरों में कमी के लिए विद्युत नियामक आयोग को जनहित में निर्देश दे, जिससे कोरोना संकट में आम जनता को राहत मिल सके।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री से मांग की थी। सरकार कोरोना संकट में उपभोक्ताओं व किसानों की बिजली दरों में कमी करना चाहती है, तो नियामक आयोग को विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 108 के तहत निर्देश देकर कोविड राहत टैरिफ लागू कराए। प्रदेश का उपभोक्ता बिजली दरों में कमी को लेकर काफी उम्मीद लगाए है। सरकार उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे 19537 करोड़ रुपये के एवज में इस बार उपभोक्ताओं को राहत का तोहफा दिलाए। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि बीते वर्षों पर नजर डालें, तो प्रदेश में घरेलू, ग्रामीण व किसानों की बिजली दरें काफी बढ़ी हैं। महंगी बिजली देने वाले टॉप फाइव प्रदेशों में यूपी भी शामिल है।