भानु प्रताप सिंह ने राकेश टिकैत पर बड़ा हमला बोला, कहा- ‘उनका काम ही आंदोलन को बेचना और अपना पेट भरना

नई दिल्ली दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर (शाहजहांपर, गाजीपुर, सिंघु और टीकरी) पर यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान समेत कई राज्यों को धरना-प्रदर्शन जारी है। किसान आंदोलनकारी तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद कराने की मांग को लेकर पिछले साढ़े छह महीने से दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर पर डटे हैं। इस बीच दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत पर किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि राकेश टिकैत और उनके साथियों का हमेशा से यही काम रहा है, आंदोलन को बेचना और अपना पेट भरना। उन्होंने यहां तक कह दिया कि राकेश टिकैत जब दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे थे तब कांग्रेस की फंडिंग चल रही थी। वे बंगाल में ममता बनर्जी से पैसे लेने गए थे।

ममता बनर्जी से मुलाकात पर राकेश टिकैत पर हमला

किसान नेता भानु प्रताप सिंह ने भाकियू नेता राकेश टिकैत के पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात पर भी गंभीर सवाल  दागे। उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत और उनके साथियों का हमेशा से यही काम रहा है, आंदोलन को बेचना और अपना पेट भरना। वे यहां आंदोलन कर रहे थे तब कांग्रेस की फंडिंग चल रही थी। वे बंगाल में ममता बनर्जी से पैसे लेने गए थे।

धन वसूली का लगाया आरोप

किसान नेता ने राकेश टिकैत पर हमलावर अंदाज में कहा कि अब किसान आंदोलन राकेश टिकैत के हाथ में है और वह धन वसूली कर रहे हैं। पहले कांग्रेस से वसूला, अब तृणमूल कांग्रेस की शरण में गए हैं। पश्चिमी बंगाल जाकर ममता बनर्जी से फंड के बारे में बातें कीं। किसान नेता भानु प्रताप सिंह नेराकेश टिकैत शुरू से यही काम करते रहे हैं।

भ्रष्टाचार की गिरफ्त में आया आंदोलन

भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने नोएडा में बृहस्पतिवार को केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रही किसानों के आंदोलन को भटक जाने और भ्रष्टाचार की गिरफ्त में आ जाने का भी आरोप लगाया।

किसान आंदोलन में नहीं बची नैतिकता

उत्तर प्रदेश के नामी किसान नेताओं में शुमार भानु प्रताप सिंह ने नोएडा में कहा कि आंदोलन की जब शुरुआत हुई थी, तब उसमें नैतिकता थी। वहीं, आंदोलन जैसे-जैसे आगे बढ़ा यह धनकमाऊं लोगों के हाथ में आ गया। फिलहाल स्थिति यह है कि जो नेता इस आंदोलन को चला रहे हैं, वे पैसे वसूली में लग गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.