संवाददाता, देहरादून। दून में विभिन्न चौराहों पर भीख मांगने वाली ऐसी तमाम महिलाएं दिख जाएंगी, जिनकी गोद में बच्चा भी होता है। कुछ महिलाएं तो ऐसी भी हैं, जिनकी गोद में रखे बच्चे की उम्र कई समय से एक जैसी नजर आती है। जिलाधिकारी ने आशंका जताई कि यह सब सोची-समझी प्लानिंग के तहत तो नहीं किया जा रहा। लिहाजा, उन्होंने निर्देश दिए हैं कि इस तरह के मामलों में बच्चे और महिला की डीएनए जांच कराई जाए। यदि बच्चा किसी और का पाया जाता है तो महिला के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाए।
मंगलवार को बच्चों को भिक्षावृत्ति से दूर रखने के लिए जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाने या उनसे सड़क पर सामान बिकवाने के मामलों पर कड़ी नजर रखी जाए। उन्होंने बच्चों के कल्याण से संबंधित विभिन्न गैर सरकारी संगठनों को भी जिम्मेदारी के साथ काम करने के निर्देश दिए। ऐसे प्रकरण की भी पड़ताल की जाए, जिनमें बच्चों से जबरन कोई काम करवाया जा रहा है। रेस्क्यू किए गए जिन बच्चों के माता-पिता या वैधानिक अभिभावक नहीं हैं, उन्हें समाज कल्याण विभाग के माध्यम से बालगृहों में भिजवाया जाए और उनकी उचित देखभाल की जाए।
इसके अलावा जिलाधिकारी डॉ. श्रीवास्तव ने सहायक श्रमायुक्त को निर्देश दिए कि बालश्रम की रोकथाम को लेकर समय-समय पर बैठक की जाए। यदि बिना किसी ठोस कारण के बैठक आयोजित नहीं की जाती है तो संबंधित के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्रवाई की जाएगी। बैठक में पुलिस अधीक्षक प्रकाश चंद्र, सहायक श्रमायुक्त एससी आर्य, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अनूप कुमार डिमरी, बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेंद्र रावत, जिला समाज कल्याण अधिकारी हेमलता पांडे, जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट आदि उपस्थित रहे।