संवाददाता, देहरादून। प्रदेश के तीन प्रमुख शिक्षक संघों ने बुधवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत व शिक्षा मंत्री से मुलाकात की। सभी ने अपनी मांगें उनके समक्ष रखी। तबादलों से 10 फीसद की शर्त हटाने की मांग : राजकीय शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री से तबादला एक्ट में सुधार करने की मांग की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष केके डिमरी ने कहा कि स्थानांतरण एक्ट में 10 फीसद की बाध्यता के चलते हजारों शिक्षक तबादले का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष सत्र शून्य होने के चलते शिक्षकों की संख्या और बढ़ चुकी है। ऐसे में कम से कम शिक्षा विभाग के लिए 10 फीसद की बाध्यता खत्म कर देनी चाहिए। उन्होंने प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में खाली पड़े प्रधानाचार्य एवं प्रधानाध्यापक के 1400 पदों पर जल्द से जल्द भर्ती की मांग भी की। डिमरी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों को लेकर जल्द बैठक बुलाने का आश्वासन दिया।
वास्तविक वेतनमान देने की मांग उठाई
जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय से मुलाकात की। शिक्षकों ने विभाग से काल्पनिक वेतनमान निर्धारण की व्यवस्था खत्म कर हर शिक्षक को वास्तविक वेतनमान देने की मांग की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने कहा कि विभाग वेतनमान निर्धारण के लिए जारी एक आदेश की गलत व्याख्या कर शिक्षकों पर थोप रहा है। इस आदेश के अनुसार एक जनवरी, 2006 के बाद पदोन्नत शिक्षकों को 17140 वेतनमान निर्धारित तो किया गया, लेकिन यहां नोशनली यानि काल्पनिक शब्द का इस्तेमाल कर दिया गया।
इसी आदेश में शिक्षकों को 17140 वेतनमान का लाभ 28 दिसंबर, 2018 के बाद से वास्तविक रूप से देने के आदेश हुए हैं। संघ ने शिक्षा विभाग पर सवाल उठाते हुए कहा कि विभाग पहले 12 वर्षों तक वेतनमान तय कर वेतन बांटता है, फिर अपने ही आदेश को गलत बताकर शिक्षकों से रिकवरी के आदेश जारी कर देता है। इससे करीब 5000 शिक्षक प्रभावित हैं। इस दौरान संघ के महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा, कोषाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल, मीडिया प्रभारी विपिन मेहता, शिक्षा निदेशक निदेशक आरके कुंवर, अपर निदेशक रामकृष्ण उनियाल, वित्त नियंत्रक गुलफाम अहमद, संयुक्त निदेशक भूपेंद्र नेगी मौजूद रहे।
अर्हता पूरी कर रहे शिक्षकों को मिले डाउन ग्रेड का लाभ
उत्तरांचल प्रधानाचार्य परिषद ने शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और निदेशक को ज्ञापन सौंपा। परिषद के प्रदेश महामंत्री अवधेश कुमार ने कहा कि अशासकीय स्कूलों में कई शिक्षक अर्हता पूरी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें डाउनग्रेड के तहत प्रधानाचार्य के रूप में नियुक्ति से वंचित रखा जा रहा है। इससे शिक्षक उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। शासन ने इन पदों पर नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया को अपनाने का फैसला लिया है, जिससे शिक्षकों में खासी नाराजगी है। प्रदेश अध्यक्ष बीपी सुयाल ने कहा कि वर्षो से रिक्त पदों पर वरिष्ठ शिक्षकों को प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी मिलती रही है। शिक्षकों ने जिम्मेदारी को बखूबी निभाया भी है। लेकिन, अब शासन के इस रवैये से शिक्षक हतोत्साहित हो रहे हैं। उन्होंने चयन वेतनमान व सेवानिवृत्ति लाभ के साथ प्रदत्त सेवाओं से जोड़ने, 5400 ग्रेड-पे वाले शिक्षकों को बोनस देने, सोसायटी पंजीकरण की वजह से शिक्षकों के लंबित वेतन का जल्द भुगतान, कोविड काल में शिक्षकों को अतिरिक्त सेवा के बदले उपार्जति अवकाश देने की मांग भी की।