राज्य ब्यूरो, देहरादून। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में नई सरकार ने अपने नए फैसलों में स्वतंत्र वजूद का अहसास कराना शुरू कर दिया है। सरकार के निशाने पर पिछली त्रिवेंद्र सरकार के वे फैसले भी हैं, जिन्हें लेकर विवाद की स्थिति रही अथवा जनता के बीच सकारात्मक संदेश नहीं गया। मंत्री परिषद की पहली बैठक में ही ऐसे फैसलों पर कैंची चलाई जा चुकी है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ताजा मामले में हरिद्वार में होने वाले कुंभ में आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता समाप्त करने, गैरसैंण कमिश्नरी बनाने की घोषणा पर जनभावना के हिसाब से कदम उठाने और देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार करने के संकेत देकर अपने इरादे भी जता दिए हैं।
प्रदेश में महामारी एक्ट और आपदा प्रबंधन एक्ट में दर्ज किए गए मुकदमे होंगे वापस
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत मंत्री परिषद ने पहला बड़ा फैसला लाकडाउन के दौरान कोरोना महामारी और आपदा प्रबंधन एक्ट में दर्ज मुकदमों का वापस लेना रहा। दरअसल, लाकडाउन के दौरान दर्ज मुकदमों को लेकर सरकार को आलोचना का शिकार होना पड़ा है। खासतौर पर कांग्रेस समेत सभी विपक्ष दलों ने उस दौरान जितने भी राजनीतिक कार्यक्रम किए, तकरीबन उन सभी में महामारी व आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत मुकदमें दर्ज किए गए। दूसरी ओर भाजपा व सहयोगी दलों के कार्यक्रमों पर एक्ट के तहत शिकंजा नहीं कसने को लेकर विपक्ष सवाल खड़े करता रहा है। ऐसे मुकदमों की संख्या तकरीबन 4800 के आसपास है। मुख्यमंत्री ने इन मुकदमों को वापस लेकर विपक्ष के हमले की धार को भी कुंद किया है।
क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों से नक्शे पास करने का अधिकार स्थगित
अब बात करें क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों से नक्शे पारित करने का अधिकार वापस लेना से संबंधित फैसले की। त्रिवेंद्र सरकार ने वर्ष 2017 में सभी जिलों में जिलास्तरीय विकास प्राधिकरण गठित किए थे। इससे सुदूर पर्वतीय गांवों में मकान बनाने में लोगों को परेशानी होने लगी थी। लगातार इसका विरोध चल रहा था। यहां तक कि मामला विधानसभा में भी दो बार उठा। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष के निर्देशों पर गठित समिति ने भी इन प्राधिकरणों को समाप्त करने की संस्तुति दी थी लेकिन सरकार इस पर कोई फैसला नहीं ले पाई थी। अब मुख्यमंत्री ने आते ही इन पर निर्णय लेकर जनहित के मसलों पर फोकस रहने के इरादों को स्पष्ट कर दिया है।