केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कानूनों को कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में डालने का सुझाव दिया था। इसके अलावा सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच मतभेद दूर करने के लिए समिति बनाने की भी तजबीज पेश की थी। बता दें कि किसान संगठनों और सरकार के बीच हुई बातचीत का अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। किसान कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े हुए हैं। हालांकि, केंद्र सरकार ने अभी तक बातचीत के जरिए समाधान निकलने की उम्मीद नहीं छोड़ी है। 15 जनवरी को किसान संगठनों और सरकार के बीच 9वें दौर की बैठक है।
दरअसल, कानून खत्म किए बिना किसान संगठन धरना-प्रदर्शन खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार कानूनों में सुधार करने के पक्ष में है, इन्हें रद करने के नहीं। यहीं पेंच फंसा हुआ है। आज प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। यह सुनवाई इसलिए और अहम हो जाती है, क्योंकि सरकार और किसान संगठनों के बीच 15 जनवरी को अगले दौर की बातचीत होनी है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि किसानों के प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए जमीनी स्तर पर कोई प्रगति नहीं हुई है। जबकि, केंद्र ने अदालत को बताया था कि मामले को सुलझाने के लिए किसानों के साथ उसकी सकारात्मक बातचीत चल रही है। सरकार ने यह भी कहा था कि दोनों पक्षों के बीच जल्द ही सभी मसलों पर आम सहमति बनने की उम्मीद है। इसके बाद ही शीर्ष अदालत ने मामले में सुनवाई 11 जनवरी तक स्थगित कर दी थी।