हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने हाथरस में दलित लड़की के साथ घटी घटना को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान लिया है। गुरुवार को कोर्ट ने घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए अपर मुख्य सचिव, डीजीपी, एडीजी लॉ एंड आर्डर और हाथरस के जिलाधिकारी व एसपी को 12 अक्टूबर को तलब करते हुए उनसे पूरे मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने पीड़िता के साथ हाथरस पुलिस के बर्बर, क्रूर और अमानवीय व्यवहार पर राज्य सरकार से भी प्रतिक्रिया मांगी है।
जस्टिस राजन रॉय व जस्टिस जसप्रीत सिंह की बेंच ने यह आदेश पारित करते हुए टिप्पणी की है कि घटना ने आत्मा को झकझोर दिया है। जब तुममें अहम आ जाये तो गरीब को देखो, तुम्हारा सारा संदेह मिट जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यदि वह संतुष्ट नहीं हुआ तो पूरे मामले की जांच किसी अन्य एजेंसी से कराने पर विचार किया जा सकता है।
हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की 29 सितंबर को मौत के बाद हाथरस की पुलिस और प्रशासन द्वारा किया गया कथित बर्ताव बहुत दर्दनाक है। यह संविधान के अनुच्छेद 25 का खुला उल्लंघन है। परिवार को मृतक का अंतिम संस्कार अपने धर्म व रीति के अनुसार करने का सांविधानिक अधिकार है। कोर्ट ने पीड़िता के परिवारीजन को भी अगली तारीख पर बुलाया है और विवेचना की प्रगति आख्या भी तलब की है।
हाई कोर्ट ने विभिन्न अखबारों और न्यूज चैनलों से कहा है कि वे घटना के बाबत उनके पास जो भी मैटीरियल है, उसे पेन ड्राइव या सीडी में दाखिल करें। कोर्ट ने कहा कि वह देखेगी कि कहीं पीड़िता की गरीबी या सामाजिक स्तर के कारण तो उसके साथ सरकारी मशीनरी ने यह अत्याचार तो नहीं किया।
बता दें कि 14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र के एक गांव में 19 वर्षीय लड़की के साथ क्रूरता की गई। इसके बाद पहले उसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया और सोमवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट किया गया, जहां पर उसने मंगलवार को दम तोड़ दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर हाथरस दुष्कर्म मामले में सचिव गृह भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय एसआइटी जांच कर रही है। एसआइटी पुलिस भूमिका की भी जांच करेगी। एसआइटी में महिला अधिकारी एसपी पूनम भी शामिल हैं। हाथरस की घटना को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री से वार्ता कर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने की बात कही थी।
फारेंसिक जांच में नहीं हुई दुष्कर्म की पुष्टि : फारेंसिक लैब में हाथरस की युवती की स्लाइड और कपड़ों की जांच में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। एडीजी अजय आनंद ने गुरुवार को इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस इस मामले में आरोपितों के खिलाफ हत्या की धारा के तहत कार्रवाई करेगी। लैब ने रिपोर्ट हाथरस पुलिस को सौंप दी है। उन्होंने बताया कि स्लाइड के साथ युवती के कपड़े जांच के लिए आगरा फारेंसिक लैब भेजे गए थे। दस दिन में रिपोर्ट मांगी गई थी।
चीफ जस्टिस को भेजा था पत्र : बता दें कि हाथरस दुष्कर्म मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र भेजकर इस समूचे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गयी है। पत्र में विशेष जांच एजेंसी को जांच ट्रांसफर करने की भी मांग की गयी है। अधिवक्ता गौरव द्विवेदी ने मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर को पत्र भेजकर उनसे प्रार्थना की है कि वह 14 सितंबर को हुए इस दुष्कर्म मामले का स्वत: संज्ञान लेकर युक्ति-युक्त निर्देश जारी करें। पत्र में अधिवक्ता ने लिखा है कि चार लोगों ने दुष्कर्म के बाद गला दबाकर मारने की कोशिश की थी। यह घटना प्रदेश की कानून व्यवस्था की खराब दशा को भी उजागर कर रही है। प्रदेश में कानून का शासन है, जनता के मन में ऐसा विश्वास पैदा करने के लिए आवश्यक है। इस दुष्कर्म मामले की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराई जाए, ताकि समूचे घटना की सही जांच हो सके।