कोरोना जांच की सुविधा दून मेडिकल कॉलेज में भी शुरू हो जाएगी। उत्तराखंड में यह तीसरी सरकारी लैब है, जिसे आइसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) से जांच की अनुमति मिली है। वहीं, दून स्थित एक निजी लैब में भी कोरोना की जांच की जा रही है। दून मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा शुरू होने से अब जांच का दायरा भी बढ़ेगा।
कोरोना संक्रमण की आशंका को खत्म करने के लिए अधिक से अधिक लोगों की जांच ही एकमात्र उपाय है। पर उत्तराखंड में जांच की रफ्तार अभी भी धीमी है। प्रदेश में एक लाख की आबादी पर केवल 40 जांच की जा रही है। तकरीबन सवा माह के भीतर जांच की गति जरूर बढ़ी, पर हर दिन की जा रही जांच का औसत अब भी काफी कम है। हाल में हल्द्वानी, मेडिकल कॉलेज व एम्स ऋषिकेश में कोरोना की जांच की जा रही है। इसके अलावा दून स्थित आहूजा पैथोलॉजी लैब में भी जांच की सुविधा है। अब दून मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा शुरू होने से न केवल जांच की गति बढ़ेगी, बल्कि बैकलॉग भी कम होगा।
दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने कहा कि माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने काफी कम वक्त में लैब तैयार की। इसके लिए पूरा स्टाफ बधाई का पात्र है। बताया कि कोरोना जांच के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शेखर पाल की अगुआई में छह लोगों की कोर टीम बनाई गई है। शनिवार से जांच शुरू कर दी जाएगी। शुरुआत में रोजाना तकरीबन 20 सैंपल की जांच की जाएगी। जिसे कुछ दिन में बढ़ाकर 50 सैंपल प्रतिदिन तक कर दिया जाएगा।
भविष्य के लिहाज से भी मुफीद यह लैब
फिलहाल तो कोरोना सैंपलों की जांच के काम आएगी। इसके अलावा भविष्य में मेडिकल छात्रों व फैकल्टी के लिए प्रशिक्षण व शोध कायरें में भी काम आएगी। स्वाइन फ्लू व अन्य वायरल संक्रमण की जांच और शोध भी यहा हो सकेगा।
प्लाज्मा थेरेपी को प्रस्ताव तैयार
दून मेडिकल कॉलेज ने प्लाज्मा थेरेपी के लिए भी प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसे जल्द ही आइसीएमआर को भेजा जाएगा। बता दें, कोरोना के इलाज के लिए दुनियाभर में शोधकर्ता प्लाज्मा थेरेपी को उपयोगी बता रहे हैं। भारत में ही कई राज्य इस पर काम शुरू कर चुके हैं। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। अब दून मेडिकल कॉलेज भी कोरोना के मरीजों पर यह थेरेपी अपनाने पर विचार कर रहा है।