मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार पर लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को दूसरा पत्र लिखकर आज (17 मार्च) विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराकर बहुमत सिद्ध करने को कहा है। वहीं, फ्लोर टेस्ट के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई है। राज्यपाल के निर्देश के बावजूद बजट सत्र के पहले दिन ‘फ्लोर टेस्ट’ नहीं कराए जाने से नाराज भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इससे पहले भाजपा ने सोमवार को ही राजभवन में अपने 106 विधायकों की परेड कराई।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुआई में भाजपा के दस विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कमलनाथ सरकार को 12 घंटे में बहुमत साबित करने का निर्देश देने की मांग की है। मंगलवार को न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और हेमन्त गुप्ता की पीठ मामले पर सुनवाई करेगी। शिवराज के अलावा विधायक गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री, विश्वास सारंग, संजय सत्येन्द्र पाठक, कृष्णा गौर और सुरेश राय की तरफ से दायर याचिका में विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री कमलनाथ, विधानसभा के प्रमुख सचिव और राज्यपाल के प्रमुख सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है।
राज्यपाल का कमलनाथ को पत्र
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को अल्टीमेटम भरा पत्र सोमवार शाम को भेजा। उन्होंने लिखा, आपने मेरे 14 मार्च के पत्र का जो उत्तर दिया, उसकी भाषा और भाव संसदीय मर्यादाओं के अनुकूल नहीं हैं। मैंने 16 मार्च को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का निवेदन किया था। सत्र प्रारंभ हुआ पर विश्वास मत प्राप्त करने की कार्रवाई नहीं हुई, न ही आपने कोई सार्थक प्रयास किया और सदन की कार्रवाई 26 मार्च तक स्थगित हो गई।
राज्यपाल ने दो दिन में तीन पत्र लिखे
राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट कराने के लिए मुख्यमंत्री को पहला पत्र शनिवार देर रात लिखा था। उसके बाद दूसरा पत्र रविवार देर रात लिखा और अब तीसरा पत्र सोमवार शाम को लिखा। रविवार देर रात राज्यपाल के बुलावे पर मिले कमलनाथ ने आश्वस्त किया था कि फ्लोर टेस्ट को लेकर वह सुबह स्पीकर से बात करेंगे, लेकिन उन्होंने सत्र शुरू होने के कुछ देर पहले ही राज्यपाल को छह पेज का लंबा पत्र भेजकर बेंगलुर में बंदी विधायकों का हवाला देते हुए फ्लोर टेस्ट के औचित्य पर सवाल खड़े कर दिए।
सोमवार को क्या हुआ
सोमवार सुबह बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से हुई। इस दौरान भाजपा के डॉ. नरोत्तम मिश्र ने कमलनाथ सरकार के अल्पमत में होने की बात उठाई, लेकिन राज्यपाल ने इसकी अनदेखी करते हुए अभिभाषण खत्म किया। उन्होंने सभी को सलाह दी कि जिसका जो दायित्व है निष्ठापूर्वक निभाए। संविधान के निर्देशों-नियमों का परंपराओं के अनुरूप पालन करें। उनके सदन से जाते ही स्पीकर एनपी प्रजापति आसंदी पर आकर बैठे और चंद मिनट कार्यवाही चलाने के बाद कोरोना वायरस की वजह से सदन की बैठक 26 मार्च तक स्थगित करने की घोषणा कर दी।