उत्तराखंड के तीन जिलों में दशकों से चल रही हड़ताल को सुप्रीम कोर्ट के अवैध करार देने के बाद सभी बार एसोसिएशन हरकत में आ गए हैं। उत्तराखंड बार काउंसिल ने सात मार्च को कार्यकारिणी की बैठक आहूत की है। प्रस्तावित बैठक में पूरे मामले पर चर्चा होगी। हालांकि बार काउंसिल वर्ष 2019 में ही हाई कोर्ट की ओर से हड़ताल को अवैध करार देने के बाद बार एसोसिएशन को पत्र के माध्यम से अवगत करा चुका है।
मुकदमों का पहाड़ खड़ा कर रही हड़ताल
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने अपने आदेश में विधि आयोग की 2012 से 2016 तक उत्तराखंड से संबंधित रिपोर्ट का उल्लेख किया था। उसमें वकीलों की हड़ताल से कार्य दिवसों के नुकसान के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया था। कहा था कि वकीलों का यह रवैया अदालतों के कामकाज को प्रभावित करने के साथ ही मुकदमों का पहाड़ खड़ा कर रहा है। विधि आयोग की जानकारी के अनुसार देहरादून जिले में इस अवधि में 455 और हरिद्वार में 515 दिनों तक अधिवक्ता हड़ताल पर रहे।
एसोसिएशनों को भेजा था अनुपालन आदेश
उत्तराखंड बार काउंसिल के सचिव विजय सिंह के अनुसार हाई कोर्ट की ओर से अधिवक्ता हड़ताल को अवैध करार देने का आदेश बार एसोसिएशनों को अनुपालन के लिए भेज दिया गया था। सिंह के मुताबिक सात मार्च को बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड की आम बैठक होनी है। इस में सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के जवाब पर चर्चा संभव है।
हाई कोर्ट के फैसले में यह भी था उल्लेख
हाई कोर्ट ने कहा था कि कोई भी न्यायिक अधिकारी हड़ताल की वजह से तारीख नहीं टालेगा। यदि अधिवक्ताओं की हड़ताल से सुनवाई टलती है तो इसकी जवाबदेही न्यायिक अधिकारी की होगी।