जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ( Jawaharlal Nehru University) में देश विरोधी नारे लगाए जाने से संबंधित मामले में शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत दस अन्य आरोपितों के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को अनुमति दे दी है। यह मामला 13 माह से दिल्ली सरकार के पास लंबित था।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मामले की जांच की थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने चार्जशीट दाखिल करने संबंधी फाइल पर अनुमति नहीं दी थी। अनुमति मिलने के बाद कन्हैया पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाएगा।
फास्ट ट्रैक कोर्ट में चले केस: कन्हैया
देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मंजूरी के बाद कन्हैया कुमार ने भी प्रतिक्रिया दी है। समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि यह मामला राजनीतिक लाभ के लिए बनाया गया था और इसमें देरी हुई। मैं एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ट्रायल चाहता हूं ताकि पूरे देश को पता चले कि कैसे राजद्रोह जैसे कानून का दुरुपयोग हो रहा है। कन्हैया कुमार ने कहा कि जब पहली बार चार्जशीट दाखिल की गई थी जब मैं चुनाव लड़ने वाला था और अब बिहार में फिर से चुनाव होने वाले हैं।
जेएनयू में लगे थे देश विरोधी नारे
9 फरवरी 2016 को जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के वीडियो सामने आए थे, इसके बाद मामले की जांच की गई। फिर कन्हैया कुमार व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। जेएनयू के इस मामले में कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान, आकिब हुसैन, मुजीब, उमर गुल, बशरत अली व खालिद बसीर सहित 10 लोगों के खिलाफ अदालत में 14 जनवरी 2019 को आरोपपत्र दाखिल किया था। मगर दिल्ली सरकार ने इस मामले में देश द्रोह के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी।
दिल्ली सरकार ने उस समय कहा था कि दिल्ली पुलिस ने नियमों का उल्लंघन किया है। उनसे बगैर अनुमति के आरोपपत्र दाखिल किया गया है। बाद में दिल्ली सरकार ने कहा था कि इस मामले में कानूनी राय ली जा रही है। हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इस मामले को उछाला था और आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश की थी। जिस पर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस मामले में जल्द कार्रवाई के संकेत दिए थे।
बगैर सरकार से मंजूरी लिए दायर कर दिया था आरोपपत्र
जेएनयू देशद्रोह मामले में कन्हैया कुमार और अन्य पर मुकदमा चलाने की मंजूरी न मिलने के कारण पुलिस को अदालत से पहले भी कई बार फटकार लगी। पुलिस ने सरकार से मंजूरी लिए बगैर ही पटियाला हाउस की एक अदालत में आरोपपत्र दायर कर दिया था। इसके चलते अदालत ने पुलिस को फटकार लगाई थी।
पिछले साल 14 जनवरी को दायर किए गए आरोपपत्र पर अदालत ने अभी तक संज्ञान नहीं लिया, क्योंकि पुलिस को सरकार से मंजूरी नहीं मिल रही थी। आरोपपत्र पर बार-बार सुनवाई टलती रही और हर बार पुलिस का अदालत में यही जवाब होता था कि मंजूरी नहीं मिली। इस मामले में आखिरी सुनवाई 19 फरवरी को हुई थी। अदालत ने कहा था कि सरकार को फिर से पत्र लिखो और मंजूरी लेकर अदालत में 3 अप्रैल तक रिपोर्ट दाखिल करो।