252 साल पुराने सर्वे ऑफ इंडिया के पास कई ऐतिहासिक वस्तुएं हैं। जिनमें कुछ महत्वूपर्ण मशीनें भी शामिल हैं। देश के संविधान की प्रतियां छापने वाली मशीनें भी दून में ही हैं। पर अपनी मियाद पूरी कर चुकीं इन मशीनों को अब नीलाम किया जा रहा है। इन विशालकाय मशीनों के पुर्जे अलग कर इन्हें बेच दिया जाएगा।
दून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया में ही 1955 में हमारे संविधान की प्रथम 1000 प्रतियां छापी गई थीं। इसके बाद इन प्रतियों को दिल्ली भेज दिया गया था। इन विशालकाय लिथोग्राफ मशीनों को अब नीलाम किया जा रहा है। सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने बताया कि ऐतिहासिक महत्व की इन मशीनों से लिथोग्राफिक प्लेट्स भी नीलामी के लिए रखी गई हैं।
सॉव्रिन और मोनार्क नामक दो मशीनें करीब सौ साल तक सर्वे ऑफ इंडिया की धराहर रहीं। इतिहास के पन्ने पलटें तो दो हस्तलिखित प्रतियों को दून लाकर संविधान की एक हजार प्रतियां छापी गईं, जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में थीं। सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों का कहना है कि यह मशीनें बेहद पुरानी हो चुकी थीं। अब आधुनिक प्रिंटिंग मशीनें आ चुकी हैं। साथ ही पुरानी मशीनों के रख-रखाव पर बेहद अधिक खर्च आता है। अधिकारियों ने मशीनों के विशालकाय होने के कारण इन्हें रखने में भी दिक्कतें आने की बात कही। हालांकि, म्यूजियम में इन मशीनों का प्रतिरूप अवश्य रखा जाएगा।
लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गिरीश कुमार (महासर्वेक्षक) का कहना है कि जिन मशीनों में संविधान की प्रतियां छापी गई थीं, वे बहुत बड़े आकार की थीं। लिहाजा उन्हें नीलाम किया जा रहा है। सर्वे ऑफ इंडिया के पास कई प्रकार की पुरानी मशीनें हैं, जिनके अनुपयोगी होने पर उन्हें नीलाम कर दिया जाता है। संविधान से संबंधित मशीनों के पुर्जे अलग कर नीलामी के लिए भेजा गया है। हां, ऐतिहासिक महत्व की इन मशीनों का प्रतिरूप भी तैयार कराया जाएगा।