नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) परिसर में छात्रों और शिक्षकों से हुई मारपीट को लेकर दून में भी उबाल है। विभिन्न सामाजिक व छात्र संगठनों ने छात्रों से हुई हिंसा पर विरोध जताया। केंद्र सरकार से हिंसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई करते हुए एफआइआर दर्ज करने की मांग की गई।
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ), महिला समिति, सीटू, पीपुल्स फोरम, उत्तराखंड महिला मंच, सीपीआइ, सीपीएम, सीपीआइएमएल, सपा और नागरिक संगठन के कार्यकर्ता भारी संख्या में लैंसडौन चौक पर एकत्र हुए। इसके बाद सभी ने केंद्र सरकार और एबीवीपी के खिलाफ नारेबाजी की और केंद्र सरकार का पुतला जलाया।
एसएफआइ के प्रदेश सचिव हिमांशु चौहान ने आरोप लगाया कि भाजपा का समर्थन पाकर एबीवीपी ने जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों पर जानलेवा हमला किया। जेएनयू छात्र संघ की ओर से फीस वृद्धि के खिलाफ किए जा रहे शांतिपूर्वक प्रदर्शन में मारपीट करके एबीवीपी ने लोकतंत्र का उल्लंघन किया है।
संगठन ने राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित कर हमला करने वालों को जेल भेजने और इस घटना में विवि प्रशासन व दिल्ली पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की। इस अवसर पर एसएफआइ के प्रांत अध्यक्ष नितिन मलेठा, सपा के एसएन सचान, पीपुल फोरम के जयकृत कंडवाल, सीपीएम के राजेंद्र पुरोहित, शिवप्रसाद देवली, अनंत आकाश, सीपीएम एमएल इंद्रेश मैखुरी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
एफआइआर दर्ज करने की मांग
जम्मू एंड कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने भी जेएनयू में हुई घटना की कड़ी निंदा की। एसोसिएशन ने आरोपितों को जल्द पकड़कर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग की। एसोसिएशन के प्रवक्ता नासिर खूहामी ने कहा कि मामले में पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है।
एबीवीपी ने भी किया विरोध
एबीवीपी ने भी करनपुर स्थित कार्यालय में जेनएयू में हुई घटना पर विरोध जताया। एबीवीपी ने कहा कि वामपंथी संगठनों ने जेएनयू में एबीवीपी के छात्रों के साथ मारपीट की है। एबीवीपी के विभाग संगठन मंत्री विक्रम फर्स्वाण ने कहा कि इस घटना में एबीवीपी के 25 कार्यकर्ता घायल हुए हैं।
हिंसा के दौरान जेएनयू एबीवीपी इकाई के सचिव मनीष जांगिड़ का हाथ टूट गया। उन्होंने मारपीट करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। विरोध जताने वालों में पारस गोयल, मनीषा राणा, हिमांशु कुमार, सोनू मिश्रा, अश्वनी पांडे, सागर तोमर, आयुष कुमेडी आदि शामिल रहे।