मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 16 दिसंबर के दिन दुनिया के सैन्य इतिहास में एक नया अध्याय लिखा गया। यह दिन भारतीय सेना के पराक्रम का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हम कभी हारे तो टेबल पर हारे, रण में कभी नहीं हारे। सीएम ने उक्त बातें 1971 भारत-पाक युद्ध के शहीदों की स्मृति में गांधी पार्क में विजय दिवस सम्मान समारोह के दौरान कही।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के लिये मर मिटने का जज्बा उत्तराखंडियों की रगों में दौड़ता है। देश की अखंडता व एकता के लिये जब-जब जरूरत पड़ी प्रदेश के वीर अग्रणी भूमिका में रहे। सीएम ने सैनिक कल्याण के लिये किए जा रहे कार्यों की जानकारी देते कहा कि सैन्य परिवारों के लिये जितना किया जाए कम है।
इस दौरान रिटायर्ड वाइस एडमिरल हरीश बिष्ट ने कहा कि यह वह दिन है जब सेना के तीनों अंगों ने आपसी तालमेल के साथ एक ऐतिहासिक जीत हासिल की। उन्होंने बताया कि 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत कराची बंदरगाह पर एक ही रात में पाकिस्तान के तीन जलपोतों को नेस्तनाबूत कर समुद्र में डुबो दिया था। इस युद्ध में पाकिस्तान के 500 से ज्यादा नौसैनिक मारे गए थे। ऑपरेशन में पहली बार नौसेना की मिसाइल बोट्स का प्रयोग किया गया
इससे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान राजपुर रोड विधायक खजान दास, महापौर सुनील उनियाल गामा व सचिव सैनिक कल्याण राधा रतूडी ने भी शहीदों को नमन किया। संस्कृति विभाग के कलाकारों की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का आगाज हुआ। कलाकारों ने जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़या गीत की प्रस्तुति दी।
शहीदों के परिजनों को समानित्त किया गया
टिहरी 1971 युद्ध विजय दिवस के मौके पर नई टिहरी शहीद स्मारक पर डीएम वी षदमुगम और सैन्य अधिकारियों ने माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। डीएम ने कहा कि युद्ध की सफलता का श्रेय अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को जाता है। उन्होंने दुश्मनों को धूल चटा दी। पूरे देश को वीर सैनिकों की शहादत पर गर्व है। इस दौरा शहीदों के परिजनों को समानित्त किया गया।