अफवाहों के बीच अमित शाह ने किया साफ, NPR का NRC से नहीं है कोई संबंध

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को भारत की जनगणना 2021 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के उन्नयन को मंजूरी प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके बाद NPR को लेकर तरह-तरह की बात की जा रही है। इसी संशय को दूर करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जनगणना का और एनपीआर का एनआरसी से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि एनपीआर में घर के साइज, पशुओं की जानकारी जैसी कुछ नई जानकारी मांगी गई है। जिसके आधार पर राष्ट्र की सारी योजनाओं का खाका बनता है। ऐसे सर्वे पहले न हुए होते तो हम गरीबों के घर गैस कनेक्शन न पहुंचा पाते। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वो गरीबों का नुकसान कर रहे हैं। अब जब CAA की बहस खत्म हो रही है तो NRC पर नई राजनीतिक बहस का शुरू किया जा रहा है। कोई भी अफवाह सच नहीं है। ये दो अलग-अलग विधान हैं और एक-दूसरे से संबंधित नहीं हैं।

विपक्ष पर बरसते हुए शाह ने कहा कि इन लोगों ने इतने सालों तक अल्पसंख्यकों को डरा-डरा कर सभी को सुविधाओं से दूर रखा था। मोदी जी की सरकार आने के बाद अल्पसंख्यकों को घर, गैस, शौचालय और हेल्थ कार्ड मिला है। ये अभी भी उनको ये सारी सुविधाएं न मिलें इसीलिए कुछ विपक्ष की पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं। CAA पर बात करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि नागरिक संशोधन विधेयक में भी किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान ही नहीं है, ये नागरिकता देने का प्रावधान है। मैं पश्चिम बंगाल और केरल के सीएम से अनुरोध करना चाहता हूं कि सीएए को रोके नहीं। इसमें उन गरीब लोगों को शामिल किया जाएगा जिन्हें केंद्रीय सरकार से लाभ मिलेगा। NPR को लेकर कहीं पर भी देश के किसी भी नागरिक को मन में ये संका लाने का कोई कारण नहीं है और खासकर अल्पसंख्यकों के भाई-बहनों को कि इसका उपयोग NRC बनाने के लिए होगा, इसका कोई लेना-देना नहीं है। कोरी अफवाहें फैलाई जा रही हैं
NPR के बारे में बताते हुए अमित शाह ने कहा कि जनगणना के जुड़े जब लोग आएंगे तो उन्हें आपको सिर्फ जानकारी देनी होगी। कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी। जो जानकारी आप देंगे, उसका सरकार रजिस्टर बनाएगी। जो जानकारी मिलेगी, उससे देश के विकास का खाका तैयार होगा। हर 10 साल में जनगणना करना संवैधानिक प्रावधान है। किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि इसका उपयोग एनआरसी के लिए किया जाएगा। खासकर अल्पसंख्यकों को इससे डरना नहीं चाहिए। ये दो अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं।

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