देहरादून, वनाधिकार आंदोलन को लेकर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के बीच तनातनी बढ़ती नजर आ रही है। किशोर उपाध्याय ने वनाधिकार आंदोलन के पार्टी एजेंडे में शामिल नहीं होने के प्रीतम बयान पर नाराजगी जताते हुए उन्हें पत्र लिखा है।
पत्र में उन्होंने कहा कि वह वनाधिकार आंदोलन मुद्दे पर उनसे समर्थन की अपेक्षा इसलिए रखते हैं कि चकराता और खास पट्टी में कोई अंतर नहीं है। जनजाति क्षेत्र के नाते आपको जो सुविधाएं व आरक्षण मिल रहा है, वह खास पट्टी और प्रदेश के अन्य गिरिजनों को नहीं मिल रहा है।
किशोर ने कहा कि काग्रेस अध्यक्ष राहुल गाधी ने पूरे देश के पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और पदाधिकारियों के साथ बैठक कर यह निर्देश दिए थे कि 2006 के वनाधिकार अधिनियम, जिसमें पुश्तैनी और परंपरागत अधिकारों और हक-हकूकों की रक्षा की गई है, आदिवासियों, वनवासियों, गिरिजनों और अरण्यजनों को दिलवाने की मुहिम के भागीदार बनें।
इस बैठक का एजेंडा काग्रेस कार्यालय में सुरक्षित है, उचित समझें तो उसका भी अवलोकन करें। पत्र में उन्होंने कहा कि प्रीतम सिंह की अध्यक्षता में प्रदेश काग्रेस समिति की बैठक में वनाधिकारों का ही एकमात्र प्रस्ताव पारित हुआ था। लिहाजा उत्तराखंड को बचाने और बसाने की इस गिलहरी जैसी कोशिश की अनदेखी न करें।
उन्होंने कहा कि आप काग्रेस इतिहास के अध्येता हैं, ऐसा मेरा मानना है। कांग्रेस समाज के सबसे अंतिम स्थान पर स्थित नागरिकों के साथ खड़ी रही है और आदिवासी, दलित, वनवासी, अल्पसंख्यक से लेकर गरीब मजदूर महिलाओं के हितों का सरंक्षण सेवा भाव से करती आ रही है।