स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में उंची उड़ान भरने के बाद अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 8 अक्टूबर को फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल में उड़ान भरने जा रहे है। दशहरा के अवसर पर जब भारतीय वायुसेना अपनी स्थापना दिवस के समारोह में व्यस्त होगी तब फ्रांस में आयोजित एक भव्य समारोह में सिंह की मौजूदगी में फ्रांस भारत को पहला राफेल विमान सौंपेगा।
साल 2016 में भारतीय वायुसेना को तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मिलने के बाद यह पहला बड़ा मौका होगा जब वायुसेना के बेड़े में कोई नया लड़ाकू विमान शामिल किया जा रहा है। भारत को मिलने वाले 36 विमानों की डील में से पहले चार अंबाला में अगले साल मई में सौंपे जाएंगे। यह डील सितंबर 2016 में हुई थी। फ्रांस में होने वाले कार्यक्रम में दोनों देशों के रक्षा मंत्री और रक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे।
राफेल जेट को हासिमारा में रखा जाएगा
पहले 16 राफेल को वायुसेना की 17वी स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज में शामिल किया जाएगा, साल 1999 के करगिल युद्ध के दौरान हीरो बनकर उभरी इस स्क्वाड्रन को हाल ही में सेवानिवृत हुए एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कमांड किया था। अप्रैल 2022 में आने वाले अगले 16 राफेल जेट को पश्चिम बंगाल के हासिमारा में रखा जाएगा। राफेल विमान को हालांकि भारत आने में कुछ समय और लगेगा क्योंकि इनकी व्यापक जांच और पायलट की ट्रेनिंग में काफी समय लगता है।
2022 तक भारतीय वायुसेना में शामिल होंगे 36 जेट्स
राफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता कई गुना बढ़ा देगा। यह हवाई क्षेत्र में गेमचेंजर साबित होगा। राफेल पाकिस्तान और चीन से होने वाले हवाई हमलों के खतरे को रोकने और उसे काउंटर करने में काफी मददगार साबित होगा। गौरतलब है कि सॉफ्टवेयर प्रामाणिकता की वजह से सभी 36 जेट्स अक्टूबर 2022 तक ही भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो पाएंगे। भारत राफेल जेट के लिए अब तक साल 2016 के समझौते के तहत 34,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है।
एक रोचक तथ्य यह है कि भारतीय वायुसेना के पहले राफेल लड़ाकू विमान के पिछले हिस्से यानि टेल पर आरबी 01 लिखा होगा। रक्षा सूत्रों के मुताबिक यह टेल नंबर नए वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेस भदौरिया के नाम पर है।