उत्तराखंड में सरकारी क्षेत्र में देश का पहला मदर मिल्क बैंक बनेगा। इस मिल्क बैंक के माध्यम से उन नवजात शिशुओं को दूध उपलब्ध कराया जाएगा, जिनकी माता की प्रसव के दौरान ही मृत्यु हो जाती है।
यह घोषणा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने की। इस मौके पर वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल भी मौजूद थे। दोनों मंत्रियों ने विभिन्न क्षेत्रों में पहचान बनाने वालीं हस्तियों को सम्मानित किया।
डॉ.रावत ने कहा कि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार गर्भवती महिलाओं की संस्थागत डिलीवरी पर फोकस कर रही है। सरकार के प्रयास से जहां शिशु मृत्यु दर में उत्तराखंड का देशभर में 32वां स्थान था, वहीं आज घटकर 26वां स्थान हो गया है। इसे और कम करने के प्रयास जारी हैं।सरकार ने गर्भवतियों को निशुल्क अस्पताल लाने-ले जाने की व्यवस्था की है। ऐजा बोई योजना भी चलाई जा रही है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं को दो हजार रुपये दिए जाते हैं। 1500 रुपये माताओं के खाने के लिए और पांच सौ रुपये बच्चे के नामकरण के लिए दिए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि शिशु-माता मृत्युदर कम करने के लिए सरकार की ओर से एक और योजना बनाई जा रही है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं को 15 दिन पहले होम स्टे में रखा जाएगा। इसके लिए होटल, अस्पताल आदि में व्यवस्था की जाएगी।
डॉक्टरों ने करार तोड़ा तो अब एक से ढाई करोड़ जुर्माना
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में रियायती दरों पर मेडिकल की पढ़ाई करने वाले सरकारी डॉक्टरों के नौकरी छोड़ने पर अब सरकार सख्त रुख अपनाएगी। ऐसा करने पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर पर अब ढाई करोड़ और एमबीबीएस डॉक्टर पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा। उन्होंने कहा अब तक बॉन्ड की राशि कम होने के कारण डॉक्टर पांच लाख रुपये का जुर्माना भरकर सरकारी सेवा छोड़ देते थे। वहीं, डॉ.रावत ने कहा कि वर्ष 2025 तक प्रदेश में सर्जन की कमी दूर हो जाएगी। उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां एमबीबीएस डॉक्टर सरप्लस होंगे।