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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ऑल वेदर रोड से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन्होंने अभी पढ़ा नहीं है। इसका अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद ही देखेंगे कि मामले में क्या किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री रावत ने ‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में कहा कि निर्माणाधीन चारधाम यात्रा मार्ग देश को सीमांत से जोड़ता है। निर्माण के बाद सामरिक दृटिकोण से यह अत्यंत महत्वपूर्ण मार्ग होगा। रक्षा संबंधी उपकरण और अन्य महत्वपूर्ण सामग्री लाने-ले जाने में इस सड़क मार्ग का इस्तेमाल किया जाएगा। इसलिए रक्षा के पहलू का भी ध्यान रखा जा रहा है। सडक निर्माण जहां हो रहा है, वह संवेदनशील क्षेत्र है, लेकिन इस सड़क मार्ग का नाम ही ऑल वेदर चारधाम यात्रा मार्ग है।
यानी यह मार्ग इस तरह तैयार किया जा रहा, ताकि हर मौसम में साल के बारहों महीनों इस पर यातायात सुचारू रहे। इसकी अहमियत को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने ऑल वेदर रोड के लिए पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था की है। इन तमाम पहलुओं का ध्यान रखते हुए यह सड़क मार्ग तैयार किया जा रहा है। निर्णय के अध्ययन के बाद सभी जरूरी तथ्य सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखे जाएंगे।
पर्यावरण सुरक्षा को आएगी जागरूकता
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष प्रो. रवि चोपड़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उत्तराखंड जैसे संवेदनशील प्रदेश में पर्यावरण सुरक्षा के प्रति नई जागरूकता लेकर आएगा। उन्होंने कहा कि 25 व्यक्तियों की इस कमेटी में उन समेत चार सदस्यों ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय (मॉर्थ) के ही वर्ष 2018 के सर्कुलर के आधार पर सड़क की चौड़ाई कार सरफेस के हिसाब से 5.5 से सात मीटर रखने का सुझाव दिया था।
सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि प्रतिदिन 8000 पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) तक के दबाव वाली सड़कों की चौड़ाई इंटरमीडिएट/डबल लेन के हिसाब से तय की जाएगी। सड़क की चौड़ाई बढ़ने पर अधिक पेड़ कटेंगे व भूस्खलन के नए जोन भी अस्तित्व में आने की आशंका बनी रहेगी। इसके बाद भी अन्य 21 सदस्यों ने डबल लेन पेव्ड शोल्डर के हिसाब से सड़क की चौड़ाई 10 से 12 मीटर करने की संस्तुति कर दी थी।