[अमित शाह]। आजादी के बाद हुए 17 लोकसभा चुनावों में देश ने 22 सरकारें और 15 प्रधानमंत्री देखे हैं। नि:संदेह इन सभी सरकारों ने राष्ट्र निर्माण में अपने विवेक के अनुसार कुछ न कुछ किया, परंतु ऐसी सरकारें विरली रहीं जो दूरगामी परिणाम लाने वाले काम कर सकीं। अपने 55 वर्षों के शासन में कांग्रेस को आठ बार पूर्ण बहुमत वाला जनादेश मिला, लेकिन उसने शायद दस काम भी ऐसे नहीं किए जिनसे देश को निर्णायक दिशा मिली हो।
हालांकि वाजपेयी सरकार ने अल्पकाल में कई बड़े काम करने के प्रयास किए, परंतु बहुमत के अभाव में उनका प्रभाव सीमित रहा। देश में पहली बार 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की एक गैर कांग्रेसी सरकार बनी। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में परिवर्तन की जो बयार बहती दिख रही है उसके पीछे मजबूत नेतृत्व और विकासोन्मुख नीतियां हैं।
सामान्य जन के जीवन-स्तर में गुणात्मक सुधार
मोदी सरकार ने अब तक के अपने कार्यकाल में ही दर्जनों ऐसे काम किए हैं जिनसे न केवल सामान्य जन के जीवन-स्तर में गुणात्मक सुधार आया है, बल्कि भारत की प्रतिष्ठा भी विश्व में फिर से स्थापित हुई है। मोदी जी की सबसे बड़ी विशेषता उनकी अतुलनीय दृढ़ इच्छाशक्ति है, जिसका सबसे ताजा उदाहरण राज्यसभा में संख्याबल न होने के बावजूद अनुच्छेद-370 और 35-ए को समाप्त करना रहा। इन दोनों अनुच्छेदों के कारण कश्मीर देश की विकास की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाया जिससे वहां आतंकी और अलगाववादी शक्तियां फल-फूल रही थीं।
अनुच्छेद- 370/35-ए से मिली मुक्ति
आतंकी हिंसा से 41 हजार कश्मीरी मौत का शिकार हुए, केंद्र से भेजी जाने वाली विकास की राशि गिने चुने लोगों की जेब भरती रही और कई पीढ़ियां गरीबी और अशिक्षा का दंश झेलती रहीं। तुष्टीकरण की राजनीति और इच्छाशक्ति की कमी के कारण किसी भी नेता या सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद- 370/35-ए से मुक्ति दिलाने का साहस नहीं किया। यह एक देश एक संविधान के सपने को पूरा करने की मोदी जी की मजबूत इच्छाशक्ति ही थी कि जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद- 370/35-ए से मुक्ति मिल सकी।
सबसे मजबूत इच्छाशक्ति वाले प्रधानमंत्री
यह भी मोदी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति ही है कि वह विषम राजनीतिक परिस्थितियों में भी अनेक कठिन फैसले ले सके। कभी असंभव से दिखने वाले सर्जिकल एवं एयर स्ट्राइक जैसे फैसले लेना मोदी जी को देश का अब तक का सबसे मजबूत इच्छाशक्ति वाला प्रधानमंत्री साबित करता है। स्वतंत्रता के बाद देश की सरकारें अमीर-गरीब, शहर-गांव, कृषि-उद्योग जैसे अनेक विरोधाभासों से ग्रस्त रहीं। कुछ शक्तियों ने ऐसा वैचारिक वातावरण बना दिया था जिससे ये भ्रामक द्वंद्व देश के विकास में एक बड़ी बाधा बन गए। नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने तत्काल इस द्वंद्व को खत्म किया। अमीर और गरीब की खाई पाट कर सबको एक साथ लेकर चलने की नीति प्रधानमंत्री मोदी के इस कथन से स्पष्ट होती है कि देश में सिर्फ दो वर्ग हैं, एक गरीब और दूसरा गरीबी हटाने वाला।
मोदी सरकार की प्राथमिकता
मोदी सरकार की नीतियों में गरीबों के कल्याण के प्रति चिंता और अन्तोदय का भाव स्पष्ट नजर आता है। सामान्य जन के जीवन में बदलाव लाना मोदी सरकार की प्राथमिकता है। जनधन, मुद्रा, सौभाग्य, स्वच्छ भारत, श्रमयोगी मानधन पेंशन, किसान पेंशन और लघु व्यापारी मानधन जैसी दर्जनों योजनाओं के माध्यम से सरकार ने आमजन के जीवन-स्तर को ऊपर उठाने और उन्हें सामाजिक-आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास किया है।
सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाया
2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए भी अनेक कदम उठाए गए हैं, जिनमें नीम कोटेड यूरिया लाना, समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना वृद्धि, समर्थन मूल्य दायरे का विस्तार, यूरिया सब्सिडी में वृद्धि, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, फसल बीमा योजना, किसान सम्मान निधि योजना आदि प्रमुख हैं। तीन तलाक उन्मूलन, उज्ज्वला, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि, मातृत्व अवकाश में वृद्धि जैसे निर्णयों के जरिये भी सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके जीवन में बदलाव लाने का काम किया है। मोदी सरकार का मानना है कि व्यवसायी के विकास के बिना गरीबों का कल्याण संभव नहीं है।
सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था
मोदी जी ने वेल्थ क्रिएटर के महत्व को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट किया है। चरमराई बैंकिंग प्रणाली के पुनरुत्थान, भ्रष्टाचार पर प्रहार के कानून, इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश, कानूनों के सरलीकरण, जीएसटी इत्यादि जैसे अनेक प्रयास व्यापार को सुगम बना रहे हैं और भारत आज सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन कर पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। करदाताओं की संख्या और कर प्राप्ति में जिस तरह वृद्धि हुई है वह मोदी सरकार पर विश्वास और देश के विकास में भागीदारी का प्रतीक है।
विश्व पटल पर भारत की ऊंची होती साख
पाकिस्तान की आतंकी नीतियों का जवाब देने के लिए जब देश की सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक की तब एक तरफ दुनिया के प्रभावी देश भारत के साथ थे तो वहीं दूसरी तरफ हमारा पड़ोसी मुल्क अलग-थलग पड़ा हुआ था। कश्मीर के मुद्दे पर भी स्थिति वही है। विश्व पटल पर भारत की ऊंची होती साख का एक और उदाहरण अंतररराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में हमारे सामने है। प्रधानमंत्री मोदी पर्यावरण के मुद्दे पर विश्व का नेतृत्व कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र का प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला। आज भारत अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस का नेतृत्व कर रहा है।
चंद्रयान ने देश का अंतरराष्ट्रीय गौरव बढ़ाया
चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण और एक बार में सर्वाधिक सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजने के कीर्तिमान ने भी देश का अंतरराष्ट्रीय गौरव बढ़ाया है। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति मोदी सरकार की मंशा और नीति, दोनों स्पष्ट हैं। जहां सेना के आधुनिकीकरण का काम जारी है वहीं अंतरिक्ष में एंटी सेटेलाइट मिसाइल के सफल परीक्षण से स्पष्ट होता है कि राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर यह सरकार जल, थल और नभ के साथ-साथ अंतरिक्ष तक जुटी हुई है। सेना के तीनों अंगों में समन्वय के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाने का फैसला भी ले लिया गया है। मोदी सरकार ने सैनिकों की वर्षों से लंबित ओआरओपी की मांग को भी पूरा करके उनके मनोबल को बढ़ाया।
सरकार के मूलभूत परिवर्तन लाने वाले साहसिक निर्णय
मोदी सरकार की कार्य पद्धति का बारीकी से मूल्यांकन करें तो ऐसे अनेक कदम नजर आएंगे, जिन पर कभी किसी सरकार ने कदम उठाना तो दूर, सोचा तक नहीं था। नरेंद्र मोदी ने सत्ता की परवाह किए बगैर देशहित को ध्यान में रखते हुए कठिन और मूलभूत परिवर्तन लाने वाले साहसिक निर्णय लिए हैं। उन्होंने ऐसे फैसले लिए जो आमजन के हित में हों और जरूरी नहीं कि वह लोक लुभावने और देखने में अच्छे लगने वाले हों। इस सरकार ने सिद्ध किया है कि जब देशहित में कठिन निर्णय लिए जाते हैं तो जनता भी समर्थन देने में पीछे नहीं हटती। इसका सबसे ज्वलंत प्रमाण 2019 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी का 2014 के जनादेश से बड़े जनादेश के साथ दोबारा प्रधानमंत्री बनना है।