पिथौरागढ़। समाज में आज भी कुछ लोग हैं जो समस्याओं से विचलित होते हैं और इन समस्याओं को दूर करने के लिए प्रयास करते रहते हैं। पहाड़ की सबसे बड़ी समस्या पलायन से व्यथित एक पूर्व फौजी ने एक ऐसी ही पहल की है। अपने संसाधनों से उन्होंने सोयाबीन से पनीर तैयार कर बाजार में उतारा है। उनका मानना है कि ऐसे ही छोटे-छोटे प्रयासों से पहाड़ से पलायन रोका जा सकता है।
जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर रिण बिछुल गांव के रहने वाले दीपक चंद चार माह पूर्व ही सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ)से सेवानिवृत्त हुए हैं। चुप बैठना उनकी फितरत नहीं है। देश की सुरक्षा के लिए विभिन्न सरहदों पर सेवा करने वाले दीपक छुट्टियों में जब भी घर आते तेजी से खाली होते गांव उन्हें खासे परेशान करते थे। सेवा काल में उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों में छोटे-छोटे कारोबार पर नजर दौड़ानी शुरू कर दी। राजस्थान का सोयाबीन उद्यम उन्हें जम गया। सेवानिवृत्ति से पहले ही उन्होंने तय कर लिया कि घर लौटकर वे सोयाबीन पनीर बनाने का उद्यम लगायेंगे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने राजस्थान में सोयाबीन पनीर बनाने का प्रशिक्षण लिया।
घर लौटे दीपक ने पंडा के निकट किराए का कमरा लिया और अपने उद्यम की तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने जिले भर में भ्रमण कर सोयाबीन की जानकारी जुटाई, लेकिन जिले में सोयाबीन की पैदावार कम होने के चलते उन्हें हल्द्वानी मंडी का रू ख करना पड़ा। हल्द्वानी से सोयाबीन लाकर उन्होंने पनीर तैयार किया। सोया पनीर टोफू नाम से उन्होंने गुरू वार को इसे लांच भी कर दिया। उन्होंने बताया कि दूध पनीर बाजार में 380 रुपये किलो तक बिक रहा है, जबकि उन्होंने अपने उत्पाद की कीमत 240 रू पये किलो रखी है। पनीर बनाने के लिए उन्होंने प्यूरीफायर प्लांट भी उन्होंने स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि पनीर बनाने के दौरान निकलने वाले बायप्रोडक्ट को फिलहाल वे पशुपालक को दे रहे हैं भविष्य में वे इससे सोयाबीन बड़ी तैयार करेंगे। उनकी मंशा युवाओं को इस रोजगार से जोडऩे की है। उनका कहना है कि पहाड़ के युवा बहुत कम पैसे में महानगरों में छोटी-छोटी नौकरियां कर रहे हैं। अपने घर पर वे ऐसे ही कारोबार करें तो पलायन की समस्या खत्म हो सकती है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें ठीक-ठाक पेंशन मिलती है, जिससे वे आराम से अपनी जिंदगी जी सकते हैं, लेकिन युवाओं को प्रेरित करने के लिए उन्होंने उद्यम की स्थापना की है।